शनिवार, 7 अक्तूबर 2017

तुम और मैं


चलो भर लूं तुम्हें आगोश में मैं
अनुनाद उठे हृदय गतियों में
सब भाव जागें मानस पर जब, तुम
तनिक आभास कराना सासों से, सांसों में

उठी हो खामोशियों से जैसी,
वैसी कविता कोई हम हो जाएं
एहसास बचे सिर्फ तेरा-मेरा
सम्पूर्ण ब्रह्मांड चलो हम हो जाएं

समीकरणों के पार चलो हम
भावार्थ परस्पर हो जाएं
इन सौदों को न समझना पड़े
गीत और राग परस्पर हो जाएं

~ विवेक

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