गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

सूक्षम स्नेह
कभी क्षैतिज धरातल,तो कभी आसमान से,
निगाहें मिला कर तो देखो
कभी पथरीली राहों पर,तो कभी नराम दूब पर
कदम मिला कर तो देखो
अश्कों की भाषा में बहुत हो गयी बातें ,
लबों को अपने अब हिला कर तो देखो
इंसान में मिले हैं ये रब तुझे,
एक बार आजमा के तो देखो

कभी संग यारों के अपने', स्थान उनका भी
एक दिल में बना कर तो देखो
अफसाने कई बताएं तुमने हमें,
एक बार ये उन्हें भी बता कर तो देखो
तरसती हैं उनकी निगाहें जिस प्यार के लिए,
एक बार उन्हें वो जाता कर तो देखो
इंसान में ...........................

तुझसे जुड़े हर जर्रे को दिया है
उन्होंने शाश्वत प्रेम,
तुम क्षणभंगुर ही सही,
जरा कदम बढ़ा कर तो देखो
शिकायत है तुम्हें की ,वक्त नहीं मिलता पास ,
उलझनें हैं बढती,नहीं दिखती सुकून की एक आस
मानस की पाने को तरलता ,
जरा उनका अनुभव आजमा कर तो देखो
इंसान में ........................................


हमारे भगवान् ,मेरा मतलब माता और पिता को समर्पित !!