शुक्रवार, 11 जून 2010

mujhme chhipa 'tu'
आज अपने अक्स में हमने तुझे देखा है
अपनी परछाई में उभरते मेरे अन्दर के 'तुम' को देखा है
हर उस नमी में जो बह गयी बन boond आँखों से
मैंने धरातल पर , अपनी आकाश से फना ,
एक सितारे को देखा है

नींद से बेखबर अपनी आँखों में
हमने तेरी angraaion को देखा है
थमी सी apni इस नब्ज में
हमने तेरी अजनबियत को देखा है
बेखबर हमसे ऐ मोहबत मेरी
teri हर खिलती हंसी में हमने
अपने कल को देखा है


तुझमे ही हमने जिंदगी
और तुझमे ही जिन्दा मृत्यु को देखा है
निश्छल सी तेरी मुस्कान में
हमने प्रकृति के छलावे को देखा है
hmaari baaton का na ho bharosa
to suno aaine की गवाही
mere अक्स में isne ''तुझे" देखा है!