रविवार, 1 जून 2008

tadap
ये मेरे तड़प की तड्पन hay
kisi daire me band jindgi ka ladkpan hai
vo jo falak pe chamkata hai
वो टुकडा मेरी जिन्दगी
ki khoi us tisnagi ko arpan है
एक सपने क टूटने को क्या कहे
जब नींद ही न टूटी
उस तम की चादर का ये बड़डपन है
की मेरी जिन्दगी मी बस एक तड्पन है

उन लहरों मी दुबे उतरे जो हम
to अपने खोखलेपन का अहसास
हुआ

आशियाँ जो वह
निराधार मिला बिखरा हुआ



मेरे रुई ने पाई ऐसी गहराई
दुनियादारी की बातें इस पेड़ को samajh aaee



की है अब नींद ने भी गहरे पाई
सपनों का आना रुकेगा
तम भी जीवन से हटेगा
tb to मेरे जीवन मी आने को
ये तड़प भी तर्पेगा।