मैं तेरी अकेली रातोँ का
एक चाँद बन जाना चाहता हूँ ,
तेरे दिल में अपनी एक
मैं तस्वीर सजाना चाहता हूँ,
हैं अरमान तेरे जिस मोहब्बत के
मैं तुझसे वो हरबार जताना चाहता हूँ ,
मैं तुझको अपनी मोहब्बत का
हर साज सुनाना चाहता हूँ |
तेरी आँखों की अनकही को
मै आवाज बनाना चाहता हूँ ,
तेरे पलकोँ से मैं अपनी
जीवन की धुन बजाना चाहता हूँ ,
रेगिस्तान से इस मन में मेरे
मैं एक फूल खिलाना चाहता हूँ ,
मैं तेरे जीवन से अब हर गम
की परछाई मिटाना चाहता हूँ |
झुकती तुम किसी खुदा के दर पर
तुझको अपना भगवान् बनाना चाहता हूँ ,
तेरी खातिर इस जमाने से मैं
सजदे के अंदाज चुराना चाहता हूँ ,
तेरे जीवन के क्षितिज पर मैं खुशियोँ
का एक चाँद उगाना चाहता हूँ ,
मैं तुझको अब ऐ जीवन मेरे
काल के पार ले जाना चाहता हूँ |
बन्धनोँ से रख मुक्त तुम्हें मैं
आजादी की नई उड़ान भरवाना चाहता हूँ ,
तेरे हर आगाज से मैं
इच्छित अंजाम मिलाना चाहता हूँ ,
तुझको मैं खुशियोँ की एक
आवाज बनाना चाहता हूँ ,
तेरे ख्वाबोँ को मै हमारी दुनिया में
हकीक़त की पोशाक पहनाना चाहता हूँ |
है उठती पुकार मेरे भी मन में
इस हिज्र का मैं सर्वस्व मिटाना चाहता हूँ ,
जमाने कुछ दस्तूर दिखाए हमने
मैं दुनिया को नए संस्कार सिखाना चाहता हूँ ,
फरेबी दुनिया के रस्मोँ से मैं
एक नया कुरुक्षेत्र लड़ जाना चाहता हूँ ,
तुझको अपनी मधुशाला का मैं
हर जाम पिलाना चाहता हूँ |
भव मौजोँ पर बहती जीवन कश्ती मेरी
तुझको साहिल हर बार बनाना चाहता हूँ ,
एक जन्म हो दो जन्म होँ, मैं हमारे "हम " को
जन्म सीमाओं से पार ले जाना चाहता हूँ ,
मैं अपनी जीवन पुस्तक का तुझसे
हर अध्याय लिखवाना चाहता हूँ ,
अधूरे कुछ अरमानोँ का मैं तुझको
एक विस्तार बनाना चाहता हूँ |
तुझसे किये हर वादे को निभाने खातिर
मैं नया भीष्म बन जाना चाहता हूँ ,
मैं उछ्रिंक्ल अपनी प्रीत का
तुझे एक अनुशासित मीत बनाना चाहता हूँ ,
है चिंगारी ,तुझमें भी ,मुझमें भी
मोहब्बत की इनसे मैं एक लपट जलाना चाहता हूँ ,
दिक् और काल से परे होकर मैं प्रेम के
अक्षर एहसास जी जाना चाहता हूँ |
तेरे ख्वाबों को मैं अपने जीवन
का मुकाम बनाना चाहता हूँ ,
अपने आधे तन में मैं तुझको
रीतिपुर्व समाना चाहता हूँ ,
संग तेरे मिल मै सृजन की
एक धुन बजाना चाहता हूँ ,
मेरे हर ख्वाब एहसास मेरी सोच मेरे अस्तित्व के मालिक
मैं तेरी छाँव में जीवन की हर धूप भुलाना चाहता हूँ |