रविवार, 4 सितंबर 2011

मेरी चाहत का आईना


मैं तेरी अकेली  रातोँ  का 
एक चाँद बन जाना चाहता हूँ ,
तेरे दिल में अपनी एक 
मैं तस्वीर सजाना चाहता हूँ,
हैं अरमान  तेरे  जिस  मोहब्बत  के  
 मैं तुझसे  वो  हरबार  जताना  चाहता  हूँ ,
मैं तुझको  अपनी  मोहब्बत  का 
हर  साज  सुनाना  चाहता  हूँ |
तेरी  आँखों  की  अनकही  को 
मै  आवाज  बनाना  चाहता  हूँ ,
तेरे  पलकोँ  से  मैं  अपनी 
जीवन  की  धुन  बजाना  चाहता  हूँ ,
रेगिस्तान  से  इस  मन  में  मेरे 
मैं  एक  फूल खिलाना  चाहता  हूँ ,
मैं  तेरे  जीवन  से  अब  हर  गम 
की  परछाई  मिटाना  चाहता  हूँ |

झुकती  तुम  किसी  खुदा  के  दर  पर 
तुझको  अपना  भगवान्  बनाना  चाहता  हूँ ,
तेरी  खातिर  इस  जमाने  से  मैं 
सजदे के  अंदाज  चुराना  चाहता  हूँ ,
तेरे  जीवन  के क्षितिज   पर  मैं  खुशियोँ
का  एक  चाँद  उगाना  चाहता  हूँ ,
मैं  तुझको  अब  ऐ  जीवन  मेरे 
काल  के  पार  ले जाना  चाहता हूँ |
बन्धनोँ से  रख  मुक्त  तुम्हें  मैं 
आजादी  की  नई  उड़ान  भरवाना  चाहता  हूँ ,
तेरे  हर  आगाज  से  मैं 
इच्छित  अंजाम  मिलाना  चाहता  हूँ ,
तुझको  मैं  खुशियोँ  की  एक 
आवाज  बनाना  चाहता  हूँ ,
तेरे  ख्वाबोँ  को  मै  हमारी  दुनिया  में 
हकीक़त  की  पोशाक  पहनाना   चाहता  हूँ |


है  उठती  पुकार  मेरे  भी  मन  में 
इस  हिज्र  का  मैं  सर्वस्व  मिटाना  चाहता  हूँ ,
जमाने  कुछ  दस्तूर  दिखाए  हमने 
मैं  दुनिया  को  नए  संस्कार  सिखाना  चाहता  हूँ ,
फरेबी  दुनिया  के  रस्मोँ  से  मैं 
एक  नया  कुरुक्षेत्र  लड़ जाना  चाहता हूँ ,
तुझको  अपनी  मधुशाला  का मैं  
हर जाम  पिलाना  चाहता  हूँ |
भव मौजोँ पर  बहती  जीवन  कश्ती  मेरी 
तुझको  साहिल  हर  बार  बनाना  चाहता  हूँ ,
एक  जन्म  हो  दो  जन्म  होँ, मैं  हमारे  "हम "  को 
जन्म सीमाओं  से  पार  ले  जाना चाहता  हूँ ,
मैं  अपनी  जीवन  पुस्तक  का  तुझसे 
हर  अध्याय लिखवाना  चाहता  हूँ ,
अधूरे  कुछ  अरमानोँ का  मैं  तुझको 
एक  विस्तार  बनाना  चाहता  हूँ |


तुझसे  किये  हर  वादे  को  निभाने  खातिर  
मैं  नया  भीष्म  बन  जाना  चाहता  हूँ ,
मैं  उछ्रिंक्ल अपनी  प्रीत  का 
तुझे  एक  अनुशासित मीत बनाना  चाहता  हूँ ,
है  चिंगारी ,तुझमें भी ,मुझमें भी 
मोहब्बत की  इनसे  मैं एक  लपट  जलाना  चाहता  हूँ ,
दिक्  और  काल  से  परे  होकर मैं प्रेम  के  
अक्षर  एहसास  जी  जाना  चाहता  हूँ |
तेरे  ख्वाबों  को  मैं  अपने  जीवन 
का  मुकाम  बनाना  चाहता  हूँ ,
अपने  आधे  तन  में  मैं तुझको 
रीतिपुर्व समाना चाहता  हूँ ,
संग  तेरे  मिल  मै  सृजन  की 
एक  धुन  बजाना  चाहता  हूँ ,
मेरे  हर  ख्वाब  एहसास  मेरी  सोच  मेरे  अस्तित्व  के  मालिक 
मैं  तेरी  छाँव  में  जीवन की  हर  धूप  भुलाना  चाहता  हूँ |