रविवार, 25 जुलाई 2010

जब भी उड़ा आकाश को चूमता आया था,
हाथों की लकीरों का ये पड़ाव तो तुमने ही बनाया था |
आखिर क्यों छीन लिए पंख हमारे ?
उन्मुक्त हो उड़ना तो तुम्ही ने सिखाया था !

सोमवार, 19 जुलाई 2010

इश्क की शमा दिल में हर पल जलती है,
हँसते मुस्कुराते ग़मों पर भी ये जिंदगी चलती है
और कभी अभिनीत से जीवन को वास्तविकता में जी लूँ
ये अरमान लिए कुछ तमन्नाएं मचलती हैं !

गुरुवार, 15 जुलाई 2010

खुली आँखों से देखा, मेरी जिंदगी का खोया ख्वाब हो तुम
हर धड़कन, हर दुआ में सोचा गया वो नाम हो तुम
जिंदगी के हर शब के बाद की आशा की धूप हो तुम
अश्क तो रूठ गए हमसे अब हमारे,
कुछ मुस्कुराती तमन्नाओ का जिन्दा स्वरुप हो तुम,!