जरा अपनी नजरें जो तुम मोड़ लेते
हमारी तन्हाइयों का शहर देख लेते,
जो दिख गयी तुम्हें बेवफाई थी मेरी
उसमे छिपी मोहब्बत की गजल देख लेते
जरा अपनी..........................
हर पल, हर तिनके से, तेरी खूशबू मिल जाती है
तुझसे निकली सांसें ही तो मेरी धड़कनें चलती हैं,
तेरी हसरत छुपाती निगाहों को जो तुम पढ़ लेते
सिसकिया छुपाते लबों को ही सुन लेते
जरा अपनी ...........................
क्यों आये हम जीवन में तुम्हारे,
क्यों उतर गए अनजाने ही मन में तुम्हारे
हमारी हंसी जो न तुम हंस लेते
तो मुझमे न अक्स अपना खुद देख लेते
हमने भी तो तुम्ही बसाया है मन में
सदा के लिए ही उतारा है जीवन में
हमारी इबादत जो तुम देख लेते
तो मुझसे न अपनी नजर फेर लेते
जरा अपनी नजरें ........................
हमारी तन्हाइयों का शहर देख लेते,
जो दिख गयी तुम्हें बेवफाई थी मेरी
उसमे छिपी मोहब्बत की गजल देख लेते
जरा अपनी..........................
हर पल, हर तिनके से, तेरी खूशबू मिल जाती है
तुझसे निकली सांसें ही तो मेरी धड़कनें चलती हैं,
तेरी हसरत छुपाती निगाहों को जो तुम पढ़ लेते
सिसकिया छुपाते लबों को ही सुन लेते
जरा अपनी ...........................
क्यों आये हम जीवन में तुम्हारे,
क्यों उतर गए अनजाने ही मन में तुम्हारे
हमारी हंसी जो न तुम हंस लेते
तो मुझमे न अक्स अपना खुद देख लेते
हमने भी तो तुम्ही बसाया है मन में
सदा के लिए ही उतारा है जीवन में
हमारी इबादत जो तुम देख लेते
तो मुझसे न अपनी नजर फेर लेते
जरा अपनी नजरें ........................